अश्वनी तिवारी
शिक्षा हासिल करने के लिए सर्कस सरीखा करतब। सर्कस में तो फिर भी नीचे जाल लगा होता है, गिरने पर जान बच जाती है। यहां तो मौत पक्की। दो मौतें हो भी चुकी हैं। लेकिन स्कूल जाना है तो रास्ता बस यही है। बच्चे रोज जान हथेली पर रख कर बांस के एक बेहद संकरे और ऊंचे जुगाड़नुमा पुल को पार करने का दुस्साहस करते हैं।
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