लाइव हिंदुस्तान समाचार
पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को उसके नकारात्मक रवैये के लिए जिस तरह निशाने पर लिया, उससे उसकी सेहत पर कोई फर्क पड़ने की उम्मीद कम ही है, लेकिन बेहतर यही होगा कि वह अपनी रीति-नीति पर विचार करे। लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर कांग्रेस के नेताओं और खासकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी की ओर से जैसे वक्तव्य दिए गए, उससे यही लगता है कि वे जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसी के चलते कभी यह कहा जा रहा है कि भाजपा नफरत फैलाकर सत्ता में आ गई और कभी यह कि सत्ता के लिए मर्यादाओं की सीमा लांघी गई। ऐसे बयानों से तो यही लगता है कि कांग्रेस चौकीदार चोर है जैसे नारे को अभी भी शालीन मान रही है।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को उसकी इस व्याख्या के लिए कठघरे में खड़ा करके ठीक ही किया कि आम चुनाव में भाजपा तो जीत गई, लेकिन देश हार गया। समझना कठिन है कि किन कारणों से ऐसी विचित्र व्याख्या की जा रही है? ध्यान रहे, यह वही कांग्रेस है जिसने कुछ समय पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव जीते थे। कांग्रेस इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकती कि लोकसभा चुनावों में केरल और तमिलनाडु में उसे उल्लेखनीय सफलता मिली है। क्या इन राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सफलता के आधार यह कहा जा सकता है कि इन दो राज्यों में देश जीत गया? क्या कांग्रेस यह कहना चाहती है कि वह देश का पर्याय है?
यह लोकतांत्रिक नहीं, सामंती मानसिकता ही है कि जो कुछ अपने मन मुताबिक न हो, उसे अमान्य करते हुए अस्वीकार कर दिया जाए। इस मानसिकता से बाहर आना कांग्रेस के अपने हित में है। अगर चुनावों में पराजित होने वाले दल जनता के विवेक के साथ ही सारी व्यवस्था को दोषी ठहराने लगेंगे तो फिर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती कैसे मिलेगी? आखिर इसका क्या मतलब कि एक बार फिर ईवीएम को संदिग्ध ठहराने की कोशिश हो रही है और वह भी बिना किसी प्रमाण के? प्रधानमंत्री ने यह सही कहा कि यह कांग्रेस का अहंकार ही है कि वह एक साथ चुनाव के विचार को बगैर चर्चा किए ठुकराना पसंद कर रही है। यह समझ आता है कि कांग्रेस अथवा अन्य किसी विपक्षी दल को मोदी सरकार की नीतियां पसंद न आ रही हों, लेकिन आखिर उसकी हर योजना और कार्यक्रम को खारिज करने-बेकार बताने का क्या मतलब? क्या यह अजीब नहीं कि कांग्रेस जिस आधार की जनक है, उसके ही इस्तेमाल को बढ़ावा देने को सही नहीं मान रही है? विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस को सरकारी कामकाज की खामियों पर निगाह रखने और उन्हें उजागर करने का पूरा अधिकार है, लेकिन यह तो नकारात्मकता की हद ही है कि वह अपनी ही पहल को आगे बढ़ता हुआ देखना पसंद नहीं कर रही है। देश और लोकतंत्र ही नहीं, राजनीति का हित इसी में है कि ऐसे घोर नकारात्मक रवैये का परित्याग किया जाए। कम से कम संसद को तो नकारात्मक राजनीति से मुक्त रखा ही जाना चाहिए।
चन्द्रिका प्रसाद तिवारी
कोरोना काल का सबसे बड़ा आर्थिक दुष्प्रभाव अब देश के सामने है। जब सरकार के आपने आकलन के मुताबिक इस वर्ष अप्रैल से जून के तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घट कर शून्य से भी नीचे
लाइव हिंदुस्तान समाचार वेब न्यूज़ पोर्टल
LIVEHINDUSTANSAMACHAR.COM
[Editorial Contact for news, business, complaints [ALL INDIA]
Sirmaur, District Rewa, Madhya Pradesh
HEAD OFFICE
Nagar Sirmaur, Tehsil Sirmaur
District Rewa [MP] India
Zip Code-486448
MAIL ID-AT@ LIVEHINDUSTANSAMACHAR.COM
Mob- +919425330281,+919893112422