रीवा ब्यूरो
वर्तमान जेडी ने सीएस रहने दुकानों के आवंटन और निर्माण में बड़ी अनियमितता की थी। रिश्तेदारों के नाम दुकानें आवंति कर दी थी। मामले की जांच भी बैठी,लेकिन फाइल दबा दी गई। अब मामला रफादफा हो गया है। जेडी चार दिन में रिटायर हो जाएंगे और लाखों का फर्जीवाड़ा रफादफा हो जाएगा।
ज्ञात हो कि कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल परिसर में रोगी कल्याण समिति से 36 दुकानें बनवानी थी। तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ एसके त्रिपाठी ने इस निर्माण में भी अनियमितता की थी। 36 की जगह 48 दुकानें बनवा डाली थी। बाद में इनके आवंटन में भी अनियमितता की गई थी।
रिश्तेदारों के नाम दुकानों का आवंटन करा दिया था। खुद के परिवार के अलग अलग सदस्यों ने नाम करीब 8 दुकानें करा ली थी। इसके अलावा जिला अस्पताल में ही पदस्थ स्टोर कीपर ने भी दुकानें कब्जाई थी। इन दुकान आवंटन में कई बड़े लोगों के नाम सामने आए थे। मामले में जांच भी बैठी, लेकिन सब दब गई। जांच अब भी फाइलों में है, लेकिन जेडी चंद दिनों बाद इन सब फर्जीवाड़े से बरी हो जाएंगे। रिटायरमेंट को अब चार दिन ही बचे हैं, लेकिन रिकवरी और आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इनके नाम आवंटित की गई थी दुकानें
जानकारी के अनुसार कैलाश तोमर को दुकाननंबर 1, देवेन्द्र द्विवेदी को दुकान नंबर 2, सुरेश पासी को दुकान नंबर 6, श्याम तोमर को 7, प्रदीप कुमार द्विवेदी को 8, मृगेन्द्रनाथ त्रिपाठी को 9, आजीत खान को दुकान नंबर 10, नरेन्द्र द्विवेदी को 11, राजेश त्रिपाठी को 12, रमेश मिश्रा को 13, श्रीमती रेशमा गुप्ता को 14, राहुल गुप्ता को 15, वैभव पांडेय को 16, बालेन्द्र शेखर तिवारी को 17, सारिका मिश्रा को 18, सुरेन्द्र शर्मा को 19, धनेन्द्र परौहा को 20, मोहम्मद नसीम अंसारी को 21, जगदर्शन द्विवेदी उर्फ राजा को 22, रामकुमार तोमर को 23, आरबी पाण्डेय को 24, नरेन्द्र पासी को 25, जगदीश पासी को 26, लक्ष्मीकांत को 27, श्रवण चतुर्वेदी को 28, मनीष गुप्ता को 29, रामकीर्ति शर्मा को 30, अमित जैन को 31, मनोज मिश्रा को दुकान नंबर 32, जयोति को दुकान नंबर 33, जागेश्वर पटेल को 34, राजेन्द्र मिश्र को 35, ऊषा पाण्डेय को 36, मुनिराज तिवारी को 37, पुष्पेन्द्र सेन को 38, अक्षय द्विवेदी को 39, श्रीमती रजनी मिश्रा को 40, जगदीश सेन को 41, नरेन्द्र मिश्रा को 42, नरेन्द्र को 43, विकेश मिश्रा को 44, इदरीश को दुकान नंबर 45 नंबर दुकान आवंटित की गई थी।
कलेक्टर ने बैठाई थी जांच
तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन ने मामले में जांच बैठाई थी। डॉ एसके त्रिपाठी की कारगुजारी की जानकारी लगने के बाद दुकान आवंटन के सारे रिकार्ड खंगलवाए गए थे। हालांकि उनके स्थानांतरण के बाद मामला ही दबा दिया गया। इस मामले में कलेक्टर ने जांच टीम ही गठित कर दी थी। जांच में प्रथम दृष्टयता अनियमितता मिली थी। डॉ एसके त्रिपाठी के अलावा कई कर्मचारी, अधिकारी भी फंस रहे थे।
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