चीन से सीख लेकर ही पाया जा सकता है वैश्विक महामारी Corona पर काबू !
चन्द्रिका प्रसाद तिवारी
नवंबर 2019 से चीन के वुहान में कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ था। दिसंबर तक तो इस बारे में पता ही नहीं चल पाया। जनवरी में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी तब पता चला कि कोई बीमारी फैल रही है। शुरुआत में चीन इस वायरस के असर का सही आकलन नहीं कर पाया।
वायरस का दायरा बढ़ने के साथ-साथ चीन ने इसकी भयंकरता को समझा और इसे काबू करने में भी जुट गया। इस वैश्विक महामारी को काबू में करने के लिए चीन ने हर स्तर पर काम किया और धीरे-धीरे इस संक्रमण पर काबू पा लिया।
चीन को वुहान में फैले कोरोना वायरस की भयंकरता का जैसे ही अंदाजा लगा, उसने इस इलाकों को देश के अन्य राज्यों से पूरी तरह संपर्क विहीन कर दिया।
वुहान से बाहर आने और शहर में जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई। साथ ही लोगों के घरों से निकलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सैनेटाइजर का छिड़काव कराया गया।
चीन की सरकार और प्रभावित क्षेत्रों के प्रशासन ने कोरोना वायरस को लेकर ऑनलाइन या ऑफलाइन चर्चा करने पर पाबंदी लगा दी। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई।
कोरोना प्रभावित सभी इलाकों में स्वास्थ्य कोड नाम की प्रणाली तैयार करके लागू की गई। सभी लोगों को उनकी यात्रा रिकॉर्ड के मुताबिक लाल, पीला या हरे रंगों के कोड दिए जा रहे थे। इन्हीं कोड के आधार पर लोगों का इलाज भी शुरू किया गया था।
चीन की कई कंपनियों ने चेहरा पहचानने की प्रणाली शुरू कर दी। इस प्रणाली की मदद से सार्वजनिक स्थल पर मास्क नहीं पहनने वालों की पहचान की गई और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
संक्रमित और बचाव के तरीके न अपनाने वाले लोगों की पहचान के लिए सोशल मीडिया की मदद ली गई। फिर ऐसे लोगों को सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कई शहरों में संक्रमितों की पहचान बताने वालों को इनाम भी दिया गया।
प्रशासन ने हर खाली और अच्छे स्थान पर अस्थायी अस्पातल बनाने का काम शुरू किया और कुछ ही दिनों में अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया। जिम और स्टेडियम जैसी जगहों को अस्पतालों में तब्दील कर दिया गया। स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया। मॉल्स, सिनेमा हॉल्स समेत सभी भीड़ वाली जगहों पर लोगों के जाने पर रोक लगा दी गई।
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चीन ने 549 राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों के साथ ही काउंटी और टाउनशिप सड़कों को पूरी तरह बंद कर दिया। देश के 12,000 से ज्यादा हाईवे वायरस प्रभावित इलाकों से अलग-थलग कर दिए गए थे। वहीं, प्रभावित इलाकों में 11,000 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए थे। इन केंद्रों पर वो लोग जांच करा सकते थे, जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण का संदेह हो।
चीन के 28 प्रांतों ने अंतर-प्रांतीय सड़क यात्री परिवहन बंद कर दिया था। 200 से ज्यादा शहरों में सार्वजनिक परिवहन बंद कर दिया गया था। इसके अलावा रेल परिवहन पर भी पाबंदियां लगा दी गई थीं।
किसी भी तरह का कच्चा माल प्रभावित क्षेत्रों में भेजने और वहां से उत्पाद बाहर लाने पर रोक लगा दी गई थी। महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए टोल सड़कों से गुजरने वाले सभी वाहनों को टोल टैक्स से छूट दी गई थी।
मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर रातों-रात 1,000 बिस्तरों की क्षमता वाला अस्पताल बनाकर तैयार कर दिया गया था। सिर्फ हुबेई प्रांत में ही एक दर्जन से ज्यादा अस्थायी कोरोना वायरस अस्पताल बना दिए।
लोगों तक दवाइयां और खाना पहुंचाने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल किया गया। चीन की सख्ती का फायदा महामारी से निपटने में कारगर साबित हुआ। हालात सुधरने पर भी हर घर से केवल एक ही व्यक्ति को बाहर निकलने की अनुमति दी गई।
सभी स्कूल-कॉलज बंद रखकर ऑनलाइन क्लासेस चलाई गईं। घरों में भोजन और अस्पतालों में दवाई पहुंचाने के लिए केंद्रीकृत सुविधाएं शुरू की गईं। कोरोना वायरस क्यों है चर्चित
चीन के बाहर अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और यूरोपीय देश कोरोना वायरस के संक्रमण से भयंकर प्रभावित हुए हैं। कैसे हुई पहचान?
31 दिसंबर, 2019 को चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में निमोनिया के कई मामले पाए जाने पर यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के संज्ञान में आया।
जांच के दौरान वर्तमान वायरस का किसी भी ज्ञात वायरस से मेल नहीं हुआ।
इसने एक गंभीर समस्या को जन्म दिया क्योंकि जब कोई वायरस नया होता है तो उसके बारे में यह जानकारी नहीं होती कि यह लोगों को कैसे प्रभावित करेगा।
लगभग एक सप्ताह बाद 7 जनवरी को चीनी अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्होंने एक नए वायरस की पहचान की है।
इस नए वायरस को कोरोनावायरस नाम दिया गया जो SARS और MERS जैसे वायरस के समान है।
बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे कोविड 19 नाम दिया। क्या है कोरोनावायरस?
कोरोनावायरस, एक विशिष्ट वायरस फैमिली से संबंधित है। इस वायरस फैमिली में कुछ वायरस सामान्य रोगों जैसे- सर्दी, जुकाम और कुछ गंभीर रोगों जैसे श्वसन एवं आंत के रोगों का कारण बनते हैं।
कोरोनावायरस की सतह पर क्राउन जैसे कई उभार होते हैं, इन्हें माइक्रोस्कोप में देखने पर सौर कोरोना जैसे दिखते हैं। इसलिये इसका नाम ‘कोरोनावायरस’ है। कोरोनावायरस के प्रकार:
229E अल्फा कोरोनावायरस
NL63 अल्फा कोरोनावायरस
OC43 बीटा कोरोनावायरस
HKU1 बीटा कोरोनावायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संदर्भित संक्रमण रोकने हेतु उपाय:
अल्कोहल-आधारित साबुन और पानी का उपयोग करके हाथ साफ करना।
खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना।
बुखार और खांसी से प्रभावित किसी भी व्यक्ति के निकट संपर्क से बचना।
यदि बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो रही हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना।
डॉक्टर को अपनी यात्रा के बारे में जानकारी देना।
लेखक चन्द्रिका प्रसाद तिवारी
[ लाइव हिंदुस्तान समाचार वेब न्यूज़ के प्रधान संपादक है ]
चन्द्रिका प्रसाद तिवारी
कोरोना काल का सबसे बड़ा आर्थिक दुष्प्रभाव अब देश के सामने है। जब सरकार के आपने आकलन के मुताबिक इस वर्ष अप्रैल से जून के तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घट कर शून्य से भी नीचे