रीता अश्वनी तिवारी
उनकी आंखों में सपने हैं। उनकी योजनाओं में उम्मीदें हैं। वे देश के आने वाले कल को बदलकर हमें आजादी के सबसे हसीन पलों का गवाह बना सकते हैं, क्योंकि वे दुनिया के सबसे युवा देश भारत के आजाद युवा हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में स्वराज और ग्राम उद्योग की परिकल्पना के केंद्र में युवाओं को रखा था।
युवाओं को खादी निर्माण के जरिए न सिर्फ स्वरोजगार का मॉडल दिया, बल्कि ‘स्वदेशी अपनाओ, विदेशी भगाओ’ के नारे के जरिए अंग्रेजों के खिलाफ उनका जोश भी बुलंद किया। आजादी के साढ़े सात दशक बाद आज फिर से युवा आत्मनिर्भर भारत अभियान के केंद्र में हैं।
दिलचस्प संयोग यह है कि इस साल भारत दुनिया का सबसे युवा देश बना है, जहां आधी आबादी की उम्र 25 साल से भी कम है। आधुनिक तकनीक और डिजिटल के दौर में हमारे युवा पहले से ही नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं। गांधी की तर्ज पर स्वरोजगार का नया मॉडल खड़ा करते युवाओं के बूते आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको-सिस्टम भारत का है।
वे लाखों रोजगार पैदा कर रहे हैं। पिछले साल तक साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा युवा स्वरोजगार खड़ा कर आत्मनिर्भर बन चुके हैं। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, देश में अवसरों की समानता, गरीबी मिटाने, शिक्षा के स्तर व प्रशासनिक तरीके सुधारने में युवा बड़ी भूमिका निभाकर वास्तविक अर्थों में आजादी को साकार कर सकते हैं।
- सबसे जवान देश हमारा औसत आयु 29 साल
आज हम दुनिया के सबसे जवान देश हैं। भारतीयों की औसत आयु 29 साल है, जो हमारी सबसे बड़ी ताकत है। सिर्फ युवा ताकत के दम पर भारत की विकास दर 02 फीसदी तक और बढ़ सकती है।
- भारत की कितनी आबादी किस उम्र की...
- 50 फीसदी से ज्यादा आबादी की आयु 25 साल से कम
- 65 फीसदी से ज्यादा आबादी की आयु 35 साल से कम
- 62 फीसदी आबादी (15-59 साल) श्रमबल के दायरे में
(एशिया में हमारे प्रतिस्पर्धी देश चीन की औसत आयु 37 साल तो जापान की 48 साल है।)
5.60 करोड़ ने खड़ा किया स्वरोजगार, बढ़े आत्मनिर्भरता की ओर
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, भारत में स्वरोजगार वाले युवाओं की तादाद करीब ढाई करोड़ बढ़ी है। 3.30 करोड़ (2016) से बढ़कर 2019 में आत्मनिर्भर युवाओं की संख्या 5.60 करोड़ हो गई। रोजगारों में स्वरोजगार का हिस्सा 14 फीसदी हो गया।
- 50 लाख रोजगार देंगे पांच साल में भारतीय र्स्टाटअप
नैसकॉम के मुताबिक, 2025 तक स्टार्टअप 50 लाख रोजगार देंगे। इनमें से 11 लाख प्रत्यक्ष और 39 लाख अप्रत्यक्ष होंगे। पांच साल में नौकरी देने में यूनिकॉर्न स्टार्टअप (एक अरब डॉलर से ज्यादा कारोबार वाले) प्रमुख भूमिका निभाएंगे। पिछले साल 24 यूनिकॉर्न ने 60 हजार से ज्यादा प्रत्यक्ष और 1.8 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए।
- 47 फीसदी श्रमबल में मिलेनियल्स का योगदान
जानकारों का कहना है कि कौशल बढ़ाकर और नया कौशल अपनाकर बड़ी तादाद में युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इंडिया स्किल रिपोर्ट-2020 के अनुसार, मिलेनियल्स (21वीं सदी में किशोरवय पाने वाले) देश के श्रमबल का 47 फीसदी हिस्सा हैं।
- चुनौतियों के हल खोजने और नवाचार का जज्बा
2015 बैच की विदेश सेवा अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र में यूथ डेलिगेट सीमा पुजानी कहती हैं कि आज युवा भारतकी सबसे बड़ी ताकत हैं। वे न सिर्फ मतदाता, बल्कि देश के नीति-निर्माण में भी प्रभावी भूमिका में हैं। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में हमारे युवा सरकार, सिविल सोसायटी, उद्योग और शिक्षण संस्थानों से साझेदारी बना रहे हैं। उनमें चुनौतियों के हल खोजने और नवाचार का जज्बा है।
- भारतीय युवाओं का लोहा दुनिया ने माना, हैं सुनहरे कल की ताकत
जानकारों के मुताबिक, भारत जैसी मौजूदा जनसांख्यिकी अपने आप में एक बड़ा संसाधन है, जिसे आधुनिक कौशलपूर्ण शिक्षा देकर मजबूत भविष्य तैयार हो सकता है। मौजूदा वैश्विक हालात में आर्थिक रूप से सशक्त देश ही खड़े रह पाएंगे।
भारतीय युवा देश की आर्थिक, विज्ञान-तकनीक और मानव संसाधन क्षमताओं का दोहन कर उसे सुनहरे कल की ओर ले जा सकते हैं। आज हमारे कई युवा दुनिया की नामी कंपनियां संभाल रहे हैं। आईटी क्षेत्र में तो उनका लोहा सात समंदर पार तक दुनियाभर में माना जा रहा है। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों की कमान भारतीयों के हाथ में है।
वर्ष 1001 में महमूद गजनवी की घुसपैठ से लेकर 1947 तक भारत में चली लूटपाट और गुलामी से हुए नुकसान की भरपाई का मौका भारतीय युवा शक्ति में है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक ने अनुमान लगाया है कि अंग्रेजों ने भारत में 1765-1938 के दौरान कर और व्यापार से 45 खरब डॉलर लूटे।
यह ब्रिटेन की जीडीपी का 17 गुना था। 200 साल की गुलामी के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय में कोई इजाफा नहीं हुआ। 19वीं सदी के पहले के 50 वर्षों में लोगों की आय आधी रह गई थी। अगर अंग्रेजों ने भारत से की कमाई यहीं खर्ची होती तो आज देश दुनिया की महाशक्ति होता।
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