मध्य प्रदेश में अवैध शराब के कारोबारी बेखौफ, उज्जैन हादसे पर भी नहीं चेता प्रशासन
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मध्य प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस अवैध काम में आबकारी और पुलिस विभाग का पूरा तंत्र शामिल होने से इस पर रोक नहीं लग पा रही है। स्प्रीट में केमिकल और एसेंस मिलाकर यह शराब बेची भी जा रही है। स्प्रीट में केमिकल की गड़बड़ी से शराब जहरीली हो जाती है और उज्जैन में 14 लोगों की मौत जैसे हादसों का कारण बन जाती है। सरकारी तंत्र की मिलीभगत के कारण ऐसे हादसों में भी अधिकारियों पर मामूली कार्रवाई कर इतिश्री कर ली जाती है। 14 लोगों की मौत के बाद भी प्रशासन नहीं चेता है।
सूत्रों का कहना है कि अवैध शराब के कारोबार की मुख्य कड़ी शराब ठेकेदार होता है। वह शराब की कुल खपत का 25 से 50 फीसद तक माल मूल कंपनी से लेता है। इसके बाद की भरपाई अवैध शराब उत्पादकों से लेकर की जाती है। इस शराब को खपाने के लिए छोटे शहरों या ग्रामीण क्षेत्रों को चुना जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों का छोटा ठेकेदार भी यह जानता है कि शराब की कुछ पेटियों में अवैध शराब है। इस पर उसे एक पेटी पर दो हजार तक अतिरिक्त कमाई हो जाती है। दो या तीन शराब ठेकेदार मिलकर माल उठाते हैं और उसे अपने हिस्से का बताकर परिवहन कर लेते हैं। बाद में इनके साथ अवैध शराब को बेचा जाता है। उज्जैन की जांच रिपोर्ट भी मिलीभगत का सबूत
इसी साल अक्टूबर में उज्जैन में जहरीली शराब से 14 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें तीन आरक्षकों सहित 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें से 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। एक आरोपित फरार है। मामले में उज्जैन के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह का तबादला कर दिया था। साथ ही सीएसपी को निलंबित भी किया गया था।
मामले में सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव (गृह) राजेश राजौरा की अगुआइ में दल ने जांच की थी। उनकी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट था कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की। जब इस तरह की चीजें बिक रही थी तो पुलिस के साथ नगर निगम के अधिकारी भी खामोश रहे। प्रशासनिक तंत्र और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत इसमें सामने आई थी।
इस रिपोर्ट के बाद कुछ जगह छापेमारी की, जिसमें केमिकल बरामद किए गए थे। हालांकि बड़े अधिकारियों पर ऐसी कार्रवाई नहीं की गई, जिससे तंत्र को सबक मिल सके। शराब के अवैध कारोबार को लेकर विभागीय मंत्री और गृह विभाग के अधिकारियों से चर्चा का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
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