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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में अब तक उद्धव ठाकरे सरकार मंत्रिमंडल के करीब आधे मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि कई मंत्रियों ने कोरोना को मात दे दी है लेकिन कई मंत्री अब भी कोरोना पॉजिटिव हैं। यहां तक कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे भी कोरोना की चपेट में आ गए हैं। महाराष्ट्र में तीन दलों की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में 33 कैबिनेट मंत्री हैं जिसमें से अब तक 17 मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, 10 राज्य मंत्रियों में छह कोरोना पॉजिटिव हुए। इस तरह राज्य में करीब 50 फीसदी मंत्री कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके हैं।
फिलहाल, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टोपे सहित जलसंसाधन मंत्री जयंत पाटिल, अन्न व औषधि प्रशान मंत्री राजेंद्र शिंगड़े के साथ ही पूर्व मंत्री एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) नेता एकनाथ खड़से भी कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। वहीं, प्राथमिक शिक्षा राज्यमंत्री बच्चू कड़ू दोबारा कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आ गए हैं। इससे पहले बच्चू कड़ू 19 सितंबर 2020 को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले भी कोरोना संक्रमित हुए थे। जबकि विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमत्री देवेंद्र फडणवीस भी कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आ चुके हैं।
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से लेकर कई मंत्री अब तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण, गृहमंत्री अनिल देशमुख, गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड, समाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे, वस्त्र उद्योग मंत्री असलम शेख, सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल, दुग्धविकास मंत्री सुनील केदार, ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत, ग्रामविकास मंत्री हसन मुश्रिफ, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे, शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड और परिवहन मंत्री अनिल परब आदि शामिल हैं। इसके अलावा राज्यमंत्रियों में अब्दुल सत्तार, संजय बनसोड़े, प्राजक्ता तानपुरे, विश्वजीत कदम, बच्चू कड़ू, सतेज पाटिल और दत्तात्रय भरणे शामिल हैं।
एनसीपी ने दो सप्ताह के लिए रद्द किया जनता दरबार
राज्य में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सावधानी के तौर पर एनसीपी ने अगले दो सप्ताह के लिए मंत्रियों का जनता दरबार स्थगित कर दिया है। 19 फरवरी को दिन भर में एनसीपी के तीन बड़े नेताओं ( जयंत पाटिल, राजेश टोपे और एकनाथ खड़से) के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद यह फैसला किया गया है। एनसीपी के प्रदेश कार्यालय में आम लोगों की समस्या सुनने के लिए जनता दरबार आयोजित किया जा रहा था। जहां एनसीपी के कैबिनेट और राज्यमंत्री नियमित तौर पर बैठते थे।
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