बाढ़ प्रभावित लोगों की सेहत को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया लार्वा सर्वे। इसके तहत लार्वे को नष्ट करने के साथ-साथ ही गड्ढों में टेमोफोस और स्थाई गड्ढों में गंबूजिया मछली का संचयन किया गया। लार्वा के बादले में इस प्रक्रिया से मलेरिया के विस्तार को रोकने के प्रयासों का हिस्सा है।
मलेरिया सलाहकार और फील्ड वर्कर ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों को डेंगू मलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया। इनके द्वारा लार्वा को नष्ट करने के उपाय बताए गए और मलेरिया की रोकथाम के लिए चर्चाएं भी की गईं। रात को सोने से पहले नीम की पत्तियों का धुआं करने की भी सलाह दी गई है। नीम के धुएं से मच्छरों का प्रभाव कम होता है और मलेरिया के जीवाणुओं को भी मारा जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता हैं। इसलिए स्वच्छता पर ध्यान देकर मच्छरों से बचना बहुत आवश्यक है। लोगों को उनकी सेहत की रक्षा के लिए लार्वा को नष्ट करने के उपायों के साथ ही स्वच्छ वातावरण बनाए रखने की सलाह दी गई है।
मलेरिया अधिकारी और सलाहकार भी इस मुद्दे पर मौजूद थे। इस संबंध में वे ने बताया कि बाढ़ के प्रभावित इलाकों में उच्च स्तर पर मलेरिया संक्रमण का खतरा होता है, जिससे लोगों की सेहत पर असर पड़ता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के इन कदमों का महत्व बहुत है, जो सेहत संबंधी समस्याओं को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा किये जा रहे इन प्रयासों का लोगों की सेहत को बनाए रखने में बहुत लाभ होगा। मलेरिया और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियों के खिलाफ लड़ाई इससे मजबूत होगी और लोग अपनी सेहत-स्वस्थता को सुरक्षित रख सकेंगे।
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