बांग्लादेश में महंगाई बढ़ने के कारण बच्चों की सेहत पर असर हो रहा है। खाद्य प्रदाय की समस्याएं पिछले वर्षों से बढ़ती जा रही हैं। कई परिवार अपने बच्चों को दो वक्त का खाना तक नहीं दे पा रहे हैं, जिसके कारण उनकी सेहत पर असर हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, बच्चों में कुपोषण की समस्या भी बढ़ रही है। ये सभी समस्याएं महामारी के बाद और भी अधिक ख़राब हो रही हैं।
बांग्लादेश के अन्नहीन बच्चों द्वारा चिंता व्यक्त की जा रही है। अन्नसंरक्षण कानूनों की कठोर नियमन और सरकार को महंगाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की ज़रूरत है। साथ ही, सरकार को इस मामले पर तुरंत कदम उठाने की भी ज़रूरत है। इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए उचित योजनाएं बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चों को सही खाद्य सामग्री मिल सके।
समाज में एक जगह से खाद्य प्रदाय की समस्याएं पिछले वर्षों से बढ़ती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर अन्न की कीमतें भी महंगाई के कारण बढ़ रही हैं। इस स्थिति में बच्चों की सेहत पर भी असर हो रहा है। कई परिवार अपने बच्चों को दो वक्त का खाना तक नहीं दे पा रहे हैं, जिसके कारण उनकी सेहत शोषित हो रही है।
गरीबी के कारण बच्चों में कुपोषण की समस्या भी बढ़ रही है। महिलाओं और बच्चों के सही खाने का अभाव उचित पोषण के मामले में कई उम्रदराज और जीवनकाल प्रतिबंधित ग्रुप स्वास्थ्य के बावजूद एक भी पोषक खाद्य नहीं प्राप्त कर पाते हैं। इसके इलायचिका में जीवन जीने के अभाव के कारण बच्चों के पोषण में कई समस्याएं निर्माण हो रही हैं।
बच्चों के स्वास्थ्य पर हो रहा असर देखते हुए महामारी के बाद सरकार को तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को दर्ज की गई महंगाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और इस समस्या के समाधान की तरफ बढ़ते कदम उठाने चाहिए। महामारी के बाद संकट चारों ओर बढ़ रहा है, इसलिए इस समस्या को हल करने के लिए सामाजिक संगठन, सरकार, और वैज्ञानिक समूहों को साझा प्रयास करना जरूरी है।
यकीनन, एक ऐसी उपयुक्त योजना तब बनाई जा सकती है जब सभी सक्रिय ताकत इस मुद्दे के समाधान पर केंद्रित होंगे। इसीलिए, एकजुट होकर इस महामारी के सपने को पूरा करने की और निरंतर प्रयास करने की ज़रूरत है। अगर हम सभी मिलकर कोई प्रयास करेंगे तो यकीनन इस समस्या का हल निकालना संभव होगा।
लोगों को जागरूक करने के लिए हमें अपने ‘लाइव हिंदुस्तान समाचार’ के माध्यम से सरकारी मंदीयौंमेंट को अपील करनी चाहिए कि उन्नति की राह पर जगह पर अन्नों के प्रभाव को हाथ मिलाकर हल करनी चाहिए। बांग्लादेश अन्नसंरक्षण कानूनों की कठोर नियमन की भी ज़रूरत है। इससे यह संकट होने वाली सोच को भी कमजोर करेगा और उचित दिशा में प्रगति करेगा।
मैं आप सभी पाठकों को इस समस्या के बारे में सोचने और सबको इसमें सहयोग करने के लिए प्रेरित करता हूँ। हम सबको मिलकर यह समस्या का निराकरण करने के लिए समर्पित होना चाहिए और हमेशा एक-दूसरे के संग मिलकर समृद्धि की परिभाषा में एक बदलाव ला सकते हैं।