रांची में कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंखों के इलाज में प्रभावी दवाएं 10 दिनों से बाजार से गायब हैं। रिम्स परिसर की दवा दुकानों से 2500 से ज्यादा लोगों को प्रभावी आई ड्रॉप नहीं मिले। डॉक्टरों ने बताया कि पिछले महीने से कंजंक्टिवाइटिस के रोगी बढ़े हैं। दवा कंपनियों ने दावा किया है कि जल्द ही दवा स्टॉक में उपलब्ध हो जाएगा। सप्लायर ने शॉर्टेज के कारण सीएनएफ की गलती को गंभीरता से दोषी ठहराया है।
रांची। रांची में कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, यह संक्रमण बढ़ने के साथ-साथ आंखों के इलाज में प्रभावी दवाओं की कमी का भी कारण बन रहा है। रांची राजमहल समीप स्थित रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के परिसर में स्थित दवा दुकानों से बताया गया है कि पिछले दस दिनों से यहां आंखों के इलाज के लिए अद्यतन मेडिसिन उपलब्ध नहीं है। अनुमानों के मुताबिक, इस मुद्दे से प्रभावित होने वाले रोगियों की संख्या 2500 से अधिक हो सकती है।
कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में वृद्धि देखने के बाद, डॉक्टरों ने चेतावनी जारी की है कि यह संक्रमण बीमारी के पिछले महीने में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। डॉ संदीप कुमार, एक जनरल प्रैक्टिशन, ने बताया, “रांची क्षेत्र में कंजंक्टिवाइटिस के रोगी के मामले पिछले महीने के मुकाबले दुगने हो गए हैं। इसे संलग्नक, मानसिक तनाव और नकली लार संचालित छांटने के संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क में आने का फलस्वरूप माना जा रहा है।”
इसके बावजूद, दवाइयों की कमी के बारे में सोचने पर चिंता हर दिन बढ़ती जा रही है। दवाओं की कमी के आलोक में, संगठन और आंखों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कंपनियों ने भी इस मुद्दे पर कड़ी सुरक्षा से विचार किया है। वे दावा करते हैं कि उनकी दवा जल्द ही स्टॉक में उपलब्ध हो जाएगी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाएगी। वहीं, संभावित दोषियों में सुप्लायर भी शामिल हैं, जिन्होंने दवा के अनुपात में कुछ त्रुटियां करवाई थीं। सीएनएफ के प्रतिनिधि ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा, “हमने दोषयुक्त सप्लायर की गलती को मान्यता दी है और हमें इसे दूर करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हम उपभोक्ताओं को शीघ्र ही प्रभावी दवाएं प्रदान करने का काम कर रहे हैं।”
इस तरह, रांची का नाम अपनी वृद्धि के साथ बढ़ता हुआ कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू) का शिकार बन रहा है। दरअसल, इसमें डॉक्टरों के संदेह के बावजूद, दवाइयों के कम होने के कारण रोगी अत्यधिक परेशान हो रहे हैं। इसी पर, दवा कंपनियों की प्रतिबद्धता और सीएनएफ की गलती पूरे शहर में चर्चाओं का विषय बन गया है।
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