चेन्नई के डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संसद के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया। इसके बाद संवाददाता ने उदयनिधि स्टालिन के द्वारा दिए गए इस बैयानिक वक्तव्य को जारी किया। इसमें उन्होंने कहा है कि इस निर्णय के पीछे सनातन प्रथा का एक अच्छा उदाहरण है। इसके साथ ही वह माफी की मांग से इनकार करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अपना सारा जीवन माता-पिता के मार्गदर्शन में गुजारा है जहां धर्म, जाति और ध्येय का कोई योगदान नहीं होता है। उन्होंने खुद को एक सभी धर्मों के प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है और कहा है कि उनकी यह मान्यता है कि सभी धर्मों में समानता होनी चाहिए, न कि केवल हिंदू धर्म में ही। उदयनिधि के इस बयान के परिणामस्वरूप पूरे देश में विवाद हो रहा है। बीजेपी नेताओं और हिंदू पुजारियों ने उदयनिधि के बयान की आलोचना की है और माफी की मांग की है। इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय संघ के नेताओं ने भी उदयनिधि की टिप्पणी के प्रति अपना आपत्तिजनक रुख दिखाया है। मुंबई में हुई बैठक में इस तरह के इवेंडे पर चर्चा की गई थी और उसमें विभिन्न मतभेदों के बावजूद कोई निर्णय लिया नहीं गया है। इसके आलावा पुलिस और सुरक्षा एजेंसीज ने इस विवाद के संबंध में जांच शुरू कर दी है। इन दिनों यह सभी घटनाएं सभी समाचार चैनलों, अखबारों और इंटरनेट पोर्टल पर वीरल हो रही हैं। इसी बीच, लाइव हिंदुस्तान समाचार को लोगों के लिए सुराखित, विश्वसनीय और उल्लेखनीय सामग्री प्रदान करने का वादा करता है।
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