डेंगू फिजियोथरेपी ग्रुप द्वारा आयोजित सेमिनार में डेंगू के मरीजों के लिए आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जागरूकता फैलाई गई। इसका मुख्य उद्देश्य डेंगू के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाना और इससे बचने के तरीकों के बारे में बताना था।
डेंगू का छाया अलग से बचने के लिए इलाज का सही समय पर शुरूआत करना बहुत जरूरी है। डेंगू होने पर तेज बुखार, बॉडी पेन और प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है। इस तकनीक के माध्यम से लोग खुद अपने शरीर की स्थिति को निगरानी कर सकते हैं और समय रहते इलाज की ओर मुड़ सकते हैं।
आयुर्वेदिक नुस्खों के अनुसार पपीते के पत्तों का अर्क, गिलोय का काढ़ा और बकरी का दूध डेंगू के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। इन चीजों का सेवन करने से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ सकती है और शरीर की कमजोरी दूर हो सकती है। इसके अलावा, पपीते के पत्तों का अर्क, गिलोय का काढ़ा और बकरी का दूध लिवर के लिए भी अच्छा होता है और शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट कर सकता है। इन चीजों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
डेंगू होने पर डॉक्टरों द्वारा दिए गए औषधि के साथ-साथ आयुर्वेदिक नुस्खों को भी अपनाना चाहिए। ऐसा करने से डेंगू के मरीजों को तत्परता की भावना होगी और उन्हें इलाज के प्रति विश्वास बढ़ेगा। इससे तत्परता से उपाय करने की संभावना बढ़ेगी और डेंगू से इलाज कराने वाले रोगी द्वारा इन आयुर्वेदिक नुस्खों का सेवन करने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
इस सेमिनार के अंत में, इंटरेस्टिंग फैक्ट के रूप में बताया गया कि डेंगू बीमारी के मरीजों के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रयोग करने से उनकी सेहत पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, जरूरतमंद लोगों को अपनी सेहत के बारे में जागरूक होना चाहिए और आयुर्वेदिक उपचार का सही समय पर इस्तेमाल करना चाहिए।
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