उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर एक बड़ा विवाद पैदा किया है। उन्होंने हाल ही में एक ताकतवीर भाषण दिया जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति, जनजातियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं। यह बात खासकर उन्हें सनातन विचार रखने वाले लोगों से दूर करने के लिए किया गया है। उदयनिधि का कहना है कि उनका कोई धर्म या धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। यह सिर्फ असली आपसी विवादों को छिपाने का एक तरीका है।
उदयनिधि के विचार ने भाजपा और उनकी समर्थक ताकतें बहुत परेशान कर दिया है। वे उदयनिधि को भाजपा के रुख को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं और उन्हें निशाना बना रही हैं। उदयनिधि ने सनातन विचार रखने वाले लोगों के नरसंहार का आह्वान किया गया है, परंतु यह केवल एक झूठी कहानी है। अनेक अभियानों और संगठनों ने उदयनिधि के खिलाफ प्रदर्शन किये हैं और उन्हें बर्बरता के नाम पर आरोप लगाए हैं।
उदयनिधि ने अपने भाषण में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पास सभी संसाधन होने के बावजूद उदयनिधि के बारे में वह झूठ से अनजान हैं। उदयनिधि के बयान के आधार पर भाजपा ने उन्हें कालंकित करने का आरोप लगाया है और अब जनता के बीच भी उन्हें दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है।
विजयवाड़ा के एक NGO ने उदयनिधि के खिलाफ पोस्टर लगाकर इंसान से उसे थप्पड़ लगाने के इनाम का ऐलान किया है। इससे साफ प्रतीत होता है कि उदयनिधि के बयानों ने समाज के बीच अपर्याप्त हंगामा पैदा कर दिया है और उसे गहराई से प्रभावित किया है।
यह विवाद सनातन धर्म के खिलाफ सफलतापूर्वक मौजूदा सरकार के खात्मे की कोशिश के तहत आया है। यह एक घृणित चेहरा है जो स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहा है। जबकि उदयनिधि में कहीं भी सनातन विचार रखने वालों के नरसंहार के लिए कोई इरादा नहीं है।
सभी इन उदयनिधि के कथनों से सावधान रहना चाहिए। ऐसे मामलों में सतर्क रहें और दूसरों के विचारों को सम्मान दें। खुदको और अपने समाज को एकजुट रखने का प्रयास करें और विवादों को दूर करने का प्रयास करें। यही हमारे देश के विकास और प्रगति का मार्ग हो सकता है।
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