कई महीनों से चल रही जल बाढ़ से कई देशों में तबाही मची हुई है। अब लीबिया के देरना शहर में भी बाढ़ की वजह से हाहाकार मचा हुआ है। जैसे ही मानसून आया, बाढ़ ने शहर के खेतों को लहरों में बदल दिया। पहले खेतों में हरा-भरा अनाज झीलों में बह गया है। मजदूर और किसान अब बेरोजगार हो गए हैं।
बाढ़ के परिणामस्वरूप ही शहर के टेलिफोन बेतरतीब पड़े हैं। खंभों की शानदार सजगता के बावजूद, बाढ़ की महफ़ूजगारी ने इन्हें भी लंबी और कठिन राह चुनने पर मजबूर किया है। पशुपालन और कृषि उत्पादों के लिए टेलिफोन संचालन के अभाव में किसान समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
बहुत सारे पुलों की स्थिति भी बदस्तूर है। बाढ़ के कारण देरना के पुल तोड़ दिए गए हैं। जिन्हें जबरदस्ती छाताओं ने उड़ा दिया है। इन पुलों का निर्माण समय-समय पर नहीं होता रहा है, जिसके कारण आम आदमी और स्वास्थ पर ही खतरा बना रहता है। पुल के न केवल टूटने से आदमी भयभीत हो रहे हैं, बल्कि लोग की जान गंवाने का भी खतरा बन रहा है।
लीबिया के देश की सरकार ने अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। लाखों लोग घरों से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं और बहुत से लोग जानवरों की संख्या भी घाटा रही है। इस सतह पर देखने को यह शहर विरान हो गया है, जहां बस डूबती भारती है। इस मुश्किल वक्त में सभी नागरिकों के सहायता की भारी आवश्यकता है और सरकार को तत्परता से इन लोगों की मदद करनी चाहिए।
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