कर्रे, थकान, आँखों में दर्द और खांसी शामिल हो सकती है।
– इस बीमारी का इलाज अक्सर अन्तिबाइयोटिक्स के द्वारा किया जाता है।
– देश के कई अन्य शहरों की तुलना में मुंबई में चिकनगुनिया के मामले अधिक हैं।
– चिकनगुनिया एक मच्छरों के काटने से फैलने वाली वायरल बीमारी है।
– मुंबई में इस साल 16 जुलाई तक 500 से अधिक चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं।
– इस बीमारी के लक्षणों में जोड़ों में दर्द, सूजन, उच्च बुखार, थकान और त्वचा में लाल दाग शामिल हो सकते हैं।
– चिकनगुनिया से पीड़ित मरीजों को अधिकतर आपातकालीन इलाज की जरूरत होती है।
– स्वच्छता की मिसाल रखने, पानी की नदियों और तालाबों को स्वच्छ रखने और मच्छरों से संपर्क से इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
मुंबई में बढ़ते चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस के मामलों का खतरा
मुंबई: मुंबई में चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले गहराते जा रहे हैं। चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस दोनों ही बीमारियां जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित करने की क्षमता रखती हैं। इन बीमारियों के मामलों की संख्या जुलाई के 16 दिनों में तेजी से बढ़ गई है। पिछले महीने की तुलना में इसके मामलों की संख्या अधिक हो गई है।
चिकनगुनिया एक मच्छरों के काटने से फैलने वाली वायरल बीमारी है। चिकनगुनिया से संक्रमित व्यक्ति को कुछ ही दिनों में सभी शारीरिक गतिविधियों में दरार पड़ जाती हैं। बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द, सूजन, त्वचा में लाल दाग ये सभी इस बीमारी के लक्षणों में शामिल होते हैं। इस वायरस के कारण किडनी और लिवर फेल हो सकता है। यह बीमारी बचाव के लिए स्वच्छ वातावरण और मच्छरों से संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है।
लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है। इस इन्फेक्शन का प्रसार मुख्य रूप से मच्छरों और संक्रमित जानवरों के मूत्र के माध्यम से होता है। यह बीमारी किडनी डैमेज, लिवर फेल, सांस संबंधी समस्या और मौत भी प्रकट कर सकती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीले कर्रोरा, थकान इत्यादि शामिल हो सकती है। लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणों को तुरंत चिकित्सा की सहायता से नयंत्रित किया जा सकता है।
एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक लोगों को मच्छरों के संपर्क से बचना चाहिए, स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और इन बीमारियों के लक्षणों को तुरंत चिकित्सा की सलाह पर काम करना चाहिए। चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव और इसका इलाज समय रहते किया जाए तो यह बीमारियां प्रभावी तरीके से नियंत्रित की जा सकती हैं।
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