ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद दुनिया में ध्यान जुटा है। इसराइल पर हुए इस हमले ने ईरान की प्रॉक्सी ताक़तों की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। देश में दशकों से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत प्रॉक्सी ताक़तों का इस्तेमाल करता आ रहा है। ईरान के संघर्ष के संगठनों का मुख्य उद्देश्य मध्य पूर्व को अमेरिकी और इसराइली ख़तरों से सुरक्षित रखना है।
ईरान ने अक्सर युद्ध लड़ने से इनकार किया है, परंतु अपने प्रॉक्सी के जरिए आक्रमण करने में विरोध किया गया है। ईरान के गुट लेबनान, ग़ज़ा और अन्य देशों में सीधे हस्तक्षेप करके अपनी साक्षरता बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, ईरान अमेरिका को मध्य पूर्व से बाहर करना चाहता है और उसे महत्वपूर्ण भूमिका बनाए रखने के लिए प्रॉक्सी ताक़तों का इस्तेमाल कर रहा है। इस ताक़त के एक हिस्से के रूप में, ईरान के पास परमाणु ताक़त भी है, जो बड़े पूर्विक संघर्षों के लिए तैयार है।
इसराइल पर हुए हमले के बाद, ईरान और इसराइल के बीच तनाव बढ़ गया है। ईरान की विदेश नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और प्रॉक्सी ताक़तों का महत्वपूर्ण योगदान है। ईरान चाहता है कि मध्य पूर्व को अमेरिकी और इसराइली ख़तरों से सुरक्षित रखा जाए।
इसी के साथ, दुनिया इस हालात के मद्देनज़र है और ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए तत्पर है। यह हमले ने इसराइल और ईरान के बीच गहरी तनाव की स्थिति बना दी है और आगे की प्रक्रिया को भी प्रभावित किया है। विश्व समुदाय की नजरें अब ईरान के प्रॉक्सी ताक़तों पर हैं और देश अपनी आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति का पुनरावलोकन कर रहा है।
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