डंगू तीन तरह का रोग होता है। यह एक वायरल फीवर है जो मच्छरों के काटने से या डंगू संसारोग मच्छर के काटने से होता है. डंगू के इलाज के लिए सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उनके द्वारा दी गई सलाह का पालन करना चाहिए.
डंगू फैलने पर व्यक्ति को तेज बुखार आता है और मुँह से खून बहने लगता है, जिसकी वजह से शरीर में कमजोरी महसूस होती है. साथ ही, शरीर में दर्द, कमजोरी, बेचैनी, गुलाबी रैशेज और उल्टियां हो सकती हैं. डंगू में प्लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर में कमजोरी और खून की कमी हो सकती है.
डंगू के मच्छरों को पानी में भी पनपने का खतरा होता है. इसलिए, डंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
– पानी इकट्ठा न होने दें
– पेयजल में प्रतिदिन नीम के पत्तों का रस गढ़कर पिएं
– मच्छरों की प्रवेश वातानुकूलित करने के लिए पानी में जैतून का तेल, दिन में कपूर का धुआं, लोबान या साबुत धूप का प्रयोग करें
मौसम के मोड़ पर डंगू के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. सावन और भदों मास में डंगू के केस ज्यादा होते हैं. इस दौरान सतर्क रहना बहुत जरूरी है और ये सावधानियां बरतें:
– कंटैनर और कूड़े की ठिंग बंद रखें
– पानी के ढेर में और गंदे झरनों या नालों में ब्रीडिंग कर रहे मच्छरों से बचें
डंगू के बारे में जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. इसलिए, डंगू के लक्षणों को ध्यान से देखना बहुत जरूरी है. डंगू तीन तरह का होता है, जिसमें साधारण डंगू, रक्त स्त्राव वाला डंगू और डंगू शॉक सिंड्रोम शामिल हैं. डंगू शॉक सिंड्रोम में खून की उल्टियां हो सकती हैं और शरीर में ब्लीडिंग हो सकती है. इसलिए, इसे हल्के से लेने की गलती न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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