पाकिस्तान में आंदोलन हिंसक हो रहा है, इसका बवाल बढ़ा हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों में जैसे अलग बलूचिस्तान, सिंधुदेश और पख्तूनिस्तान में आंदोलन चल रहे हैं और वहाँ हिंसा भी देखी जा रही है। इन क्षेत्रों में लोग खुदरा की मांग पर उतरे हुए हैं और स्वयंसेवक संगठन द्वारा इस आंदोलन को और मजबूत किया जा रहा है। पाकिस्तान सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
चुनाव आयोग ने चुनाव टाल दिए हैं जो पाकिस्तान में गंभीर जंग है। राजनीतिक दलों के बीच घमासान भी देखा जा रहा है। पाकिस्तान ने पहले ही अलगाववादी राष्ट्रों जैसे पूर्वी बंगाल, पासीफ़िक इस्तित्व, और पश्चिमी पंजाब को खो दिया है और अब चुनाव टाल देकर इस मुकाम पर पहुंच गया है जब देश के और कितने हिस्से वंटनबर्ग संघर्ष का सामना करेंगे। आयोग के फैसले के पीछे विभिन्न मान्यताओं और नीतियों के प्रभाव देखने की जरूरत है।
पाकिस्तान की राजनीतिक परिस्थितियों की संभावित सेटिंग के कारण देश उनमें बांटने के खतरे के सामने खड़ा है। यह तय होना मुश्किल है कि पाकिस्तान सरकार और सेना किस तरह के समझौते करेगी, और कौन सा राज्य अपने आप में स्थायी होगा। यह आंदोलन पूरे देश के प्रभाव को बताने वाला है। अगले कुछ हफ्तों में ही पाकिस्तान की नई राजनीतिक सेटिंग सामने आने की संभावना है।
जैसे ही चुनाव आयोग ने चुनाव टाला, लोगों में बड़ी हार्डिक टक्कर की भावना उभर आई है, इससे स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान को अगले कुछ सप्ताहों में ही कोई ठोस और स्थायी सरकार नहीं मिलेगी। इस राष्ट्रीय महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर विश्व भर की देशों की नजरें पाकिस्तान पर टिकी हुई हैं।