“बच्चों के बचपन में जमीन-आसमान का अंतर बढ़ता जा रहा है”
बचपन के दिनों में किसी खिलौने की जगह अब विडियो गेम्स ने ले ली है। बच्चों के रात के टाइमटेबल में नींद की जगह गेम्स का होना एक आम बात है। उन्हें घर के बाहर खेलने की प्रेरणा मिलना जरूरी है।
बच्चे अब घरों में ही घुसे रहते हैं और अपने लैपटॉप और मोबाइल पर खेलते रहते हैं। दूसरे बच्चों के साथ खेलने की प्रथा समाप्त हो गई है। इससे बच्चों के सामाजिक रिश्ते भी कमजोर हो रहे हैं।
बच्चों को बाहर खेलने से विटामिन डी की आपूर्ति होती है और सेहत मजबूत रहती है। बच्चे बाहर खेलते समय अपनी मोटर स्किल्स बेहतर करते हैं और उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बढ़ती है।
इसके अलावा, बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ती है और उनकी तनाव भी कम होता है। बाहर खेलने से बचने के खानपान विचार में भी सुधार होता है और उनके बढ़ते मोटापे से बचाव होता है।
अब देश के बच्चों को बाहर जाकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। उन्हें और उनके अभिभावकों को इस बदलते समय को ध्यान में रखना चाहिए ताकि बचपन में सही साथ बना सके।
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