मणिपुर हिंसा मामले में संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार को घेरा गया है। अगले हफ्ते इंडिया महागठबंधन (India Mahagathbandhan) का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर की ओर जा रहा है। इस गठबंधन में 16 पार्टियों के 21 सांसद शामिल होंगे और वे मणिपुर में हिंसा प्रभावित राहत शिविरों में भी हिस्सा लेंगे। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, जेडीयू, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई, एनसीपी, आईयूएमएल, आरएसपी, आप, शिवसेना, वीसीके, थिरु, आरएलडी, एसपी, और जेएमएम के नेता शामिल होंगे। इस प्रतिनिधिमंडल के नेता वाद-विवाद का जायजा लेंगे और पीड़ितों से बातचीत करेंगे।
इस बीच, सीबीआई भी मणिपुर में वायरल वीडियो मामले की जांच तेज कर रही है। अब तक इस मामले में कुल 6 एफआईआर दर्ज की गई हैं। संसद के इस मुद्दे के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाया है और सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है।
मणिपुर में हुई हिंसा का मुख्य कारण उच्च प्रोटेस्टिंग प्रवासी बंद करने को लेकर है। गत हफ्ते दो प्रवासी नेताओं की हत्या हो गई थी जिसके बाद हिंसापूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई और इससे हजारों प्रवासी प्रभावित हुए। इस प्रकार के घटनाओं के बाद मणिपुर में राहत शिविरों का आयोजन किया गया था ताकि प्रभावित प्रवासी लोगों को सहायता मिल सके। अब भारतीय महागठबंधन इस मुद्दे को संसद में उठाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा से ज्यादा सहायता मांगेगा।
लाइव हिंदुस्तान समाचार के लिए, यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है। हमें उम्मीद है कि विपक्षी दलें मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर सरकार के साथ सहयोग करेंगी और प्रधानमंत्री से सहायता मांगेंगी। इससे प्रभावित प्रवासी लोगों को आराम मिलेगा और उन्हें उचित सहायता भी मिलेगी।