महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान विधायक प्रकाश सोलंके के घर में आग लगने की घटना सामरिक रूप से दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुई है। अगर इस घटना की बात की जाए तो यह मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान जारी हिंसकता का शीर्षक बन चुकी है। आंदोलनकारियों के द्वारा उठा था यह कार्यक्रम जिसे वहां के अधिकारियों ने एक बार फिर से विराम दिलाने का संकेत दिया था। इसके चलते ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रमों को देखते हुए सावधानी बरती गयी और सेनाधिकारियों और आंतरिक सुरक्षा वालों की मौजूदगी भी बढ़ा दी गई है।
मजलगांव म्युनिसिपल काउंसिल के पास पहुंचने के बाद भीड़ ने अपनी भड़ास निकाली है और सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं की ओर इशारा किया है। किसी भी आंदोलन में हिंसक तरीकों का प्रयोग करना समाज के मध्यस्थों को परेशान करता है और विवादों में नई गतिविधियों की ओर इशारा करता है। जागरूक नागरिक इस घटना को चेतावनी के रूप में लेते हुए इसे नकारते हैं।
प्रशासनिक स्तरों पर राजनीतिक पार्टियों का समझौता करके मराठा आरक्षण से संबंधित मुद्दों का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है। केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार इस मामले का विश्लेषण करके उचित कार्रवाई करने की जिम्मेदारी स्वीकार करने में सक्षम हैं। अगर घटनाओं का समाधान जल्दी नहीं हुआ तो यह कार्यक्रम देश की राजनीति पर गंभीर असर डाल सकता है।
इस मामले में आंदोलनकारियों को संबंधित नियमों का पालन करने के लिए उन्हें शिक्षित किया जाना चाहिए। इससे आंदोलन की विधिवत सिमट जाएगी और समाज की शांति सुनिश्चित हो सकेगी। इसके साथ ही सरकार को लोगों को सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करने की भी विशेष जिम्मेदारी है। जल्दी ही इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़कर समाज को शांति और सुरक्षा की सुनिश्चित करने की जरूरत है।
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