लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला दिल्ली सर्विस बिल के मामले में नाराज हैं। उन्हें सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के आचरण से काफी खफा हो रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने बुधवार को सदन की कार्यवाही का कियासंचालन नहीं किया। इसके पीछे मुख्यतः दो कारण हैं – पहला, सत्ता पक्ष के सदस्यों की अव्यवस्थापना, और दूसरा, विपक्षी सदस्यों की उच्चतम सदन में मंथन करने की मांग।
लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला दिल्ली सर्विस बिल के विवादित मामले में काफी नाराज हैं। वह कहते हैं कि सदन के कार्यवाही की कियासंचालन के दौरान वे कई बार विपक्षी सदस्यों के बाध्य व्यवहार से गुजरना पड़ा है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बीते सप्ताह को ही स्पीकर ओम बिरला द्वारा कियासंचालन नहीं किया गया। इसलिए, सदन की बैठक का दाैरान सदस्यों के बीच अव्यवस्थापना बढ़ने का हमें अनुभव हुआ।
सत्ता पक्ष के सदस्यों का जबाव देते हुए स्पीकर ने कहा कि वे अपने कर्तव्य को निर्वाह करने के लिए सदन में कार्यवाही करते हैं, लेकिन बार-बार उच्चतम सदन में मंथन करने की मांग करना अवांछित होता है। उन्होंने कहा कि उच्चतम सदन में जनता के हितों के लिए काम करने के लिए सदस्यों की नीतिगत प्रतिष्ठा होनी चाहिए, जो अव्यवस्था को दूर करेगी।
स्पीकर का निर्णय विवादों के समय पड़ने से, विपक्ष के सदस्य विलम्ब का दावा कर रहे हैं। और तब से उन्हें सदस्यों के आचरण से जुड़ी कई शिकायतें मिल रही हैं। कुछ सदस्य ने कहा कि सदन की व्यवस्था में परिवर्तन करने का अपना स्थान है और दूसरे ने कहा कि इस बार्डर पर समय की मांग न करें परन्तु सदन के कार्यवाही में सुधार करें।
स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि उनके कार्यकाल में उच्चतम सदन की दायित्व सूची में कई बदलाव किए गए हैं, जिससे सदस्यों की न्यौता में सुधार हुआ है। वे पर्याप्त वक्ता होने के साथ-साथ न्यायपालिका की स्थिति का हिस्सा बनने का दावा करते हैं। हालांकि, विपक्ष इसे नकारते हैं और कहते हैं कि सदन में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की बढ़ती संख्या के कारण हर बार बदला जाता है।