सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ ‘भ्रामक दावों’ पर सुनवाई की और इस मामले में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव के माफीनामे को एक बार फिर से स्वीकार नहीं किया। पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है, जिसमें कंपनी के 10 लाख रुपए खर्च हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि प्रतिवादियों के साथ सीमित नहीं, अन्य भी जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी याचिका दर्ज की है और कंजूमर एक्ट को भी शामिल करने की मांग की है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ विवादित विज्ञापनों के मामले में जांच करने का आदेश दिया है। रामदेव और बालकृष्ण से उनके पक्ष को सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक और होम र का निर्देश दिया है।
इस मामले में पतंजलि के पक्ष से जमानत का मामला उठा गया है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 22 नवंबर तय की है। इस मामले में मुख्य आरोप है कि पतंजलि आयुर्वेद ने अपने उत्पादों को बेहद भ्रामक ढंग से विज्ञापित किया है जिससे लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में गति पकड़ गया है और आगे की सुनवाई में इसके महत्वपूर्ण निर्णय आ सकते हैं।